Saturday, 12 December 2015

क्या 1966 में जिंदा थे नेताजी? पूर्व PM शास्त्री के साथ की एक फोटो से उठे सवाल

नई दिल्ली. क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1966 में रूस के
ताशकंद में थे? क्या उस वक्त वे पीएम लाल बहादुर शास्त्री के
साथ मौजूद थे? कुछ ऐसे ही सवाल एक फोटो काे लेकर उठ रहे हैं।
यह फोटो नेताजी को मृत घोषित किए जाने के 21 साल की
बाद है। ब्रिटिश एक्सपर्ट ने फोटो मैपिंग कर इसमें शास्त्री के
पीछे नेताजी जैसा शख्स खड़ा होने का दावा किया है।
ऐसा माना जाता है कि नेताजी की मौत 18 अगस्त, 1945
को ताइपे में हुई थी। जबकि शास्त्री की मौत ताशकंद दौरे के
दौरान 11 जनवरी, 1966 में हुई थी।
क्या हो रहा है दावा?
- डीएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, यह दावा किया जा रहा
है कि फोटो में नेताजी जैसी शक्ल-ओ-सूरत वाला शख्स
शास्त्री जी के पीछे खड़ा नजर आ रहा है।
- फोटो लेकर ब्रिटिश एक्सपर्ट का दावा है कि शास्त्री
जी के साथ दिख रहे यह शख्स नेताजी सुभाष चंद्र बोस हो
सकते हैं।
- नेताजी के जुड़े मामलों में रिसर्च कर रहे ब्रिटिश एक्सपर्ट
नील मिलर ने फॉरेंसिक टूल्स के तहत फेस मैपिंग टेक्नीक का
इस्तेमाल कर इस फोटो को खोजा है।
- उन्होंने इस फोटो को ताशकंद में नेताजी के मौजूद होने के
सबूत के तौर पर पेश किया है।
पीएम मोदी से की अपील
- ब्रिटिश एक्सपर्ट ने अपनी फॉरेंसिक रिपोर्ट का हवाला
देते हुए पीएम नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे रूसी प्रेसिडेंट
व्लादीमिर पुतिन पर नेताजी से जुड़े सच का खुलासा करने का
दवाब डालें।
- गौरतलब है कि पीएम मोदी इसी महीने रूस के दौरे पर जा रहे
हैं।
फोटो सच है तो क्या होगा ?
ब्रिटिश एक्सपर्ट के दावे में मुताबिक अगर यह फोटो नेताजी
की है तो इससे दो बातें साबित होती हैं।
- नेताजी की मौत 1945 में हुए प्लेन हादसे में नहीं हुई थी।
- रूसी नेता स्टालिन ने 1950 की शुरुआत में उनका मर्डर
कराया था, यह भी गलत साबित हो जाएगा।
नेताजी के ताशकंद में मौजूद होने के पीछे के तर्क
- ब्रिटिश हाईकोर्ट और इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में
नेताजी से जुड़े मामलों में अपनी राय देने वाले एक्सपर्ट नील
मिलर का कहना है कि शास्त्री के साथ फोटो में दिखाई दे
रहा शख्स और सुभाषचंद्र बोस दोनों एक ही हैं। फेस मैपिंग का
रिजल्ट इस बात को कन्फर्म करता है।
- शास्त्री जी के पोते संजय नाथ का दावा है कि शास्त्री
जी की मौत से महज एक घंटे पहले ही शास्त्री जी ने किसी के
साथ फोन पर बात की थी। उन्होंने फोन पर उस शख्स से कहा
था कि वे भारत लौटकर एक ऐसा खुलासा करेंगे, जिससे
विपक्षी दल बाकी सब कुछ भूल जाएंगे। संजय नाथ, शास्त्री
जी की मौत के वक्त महज 9 साल के थे।
- शास्त्री जी के परिवार के सदस्य पहले भी यह दावा कर चुके
हैं कि ताशकंद दौरे के दौरान शायद उनकी नेताजी से ही बात
हुई हो।
किसने किया नेताजी के फोटो पर फेस मैपिंग का इस्तेमाल
- जो फोटो सामने आई है, उस पर फेस मैपिंग का इस्तेमाल
नीदरलैंड में रहने वाले भारतीय मूल के सिद्धार्थ सतभाई ने शुरू
किया था।
- 36 साल के सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल सिद्धार्थ मिशन नेताजी
ऑर्गेनाइजेश के एक्स मेंबर हैं।
- मिलर ने इस सबूतों का लगभग 1 महीने तक रीडिंग करने के
बाद पिछले महीने 62 पेज की रिपोर्ट सौंपी है।
- रिपोर्ट के मुताबिक- वीडियो और फोटोज की आपस में
तुलना करने पर इस बात के मजबूत एविडेंस मिलते हैं कि ताशकंद
में शास्त्री के पीछे जो शख्स दिख रहा है वह और नेताजी
दोनों एक ही इंसान हैं।
- इस रिपोर्ट के आने के बाद नेताजी के समर्थकों ने इस फोटो
में दिख रहे शख्स की पहचान मालूम करने के लिए सरकार से
जवाब मांगा। जिसपर सरकार का कहना है कि इस बारे में
उसके पास कोई जानकारी नहीं है।
- मिलर को इस काम के लिए 800 यूरो का पेमेंट किया गया।
जिसका इंतजाम नेताजी पर शोध कर रहे कई शोधकर्ताओं और
कोलकाता में नेताजी के समर्थकों ने मिलकर किया है।
रहस्मयी 'पेरिस मैन' का भी खुलासा कर चुके हैं मिलर
- इससे पहले भी नील मिलर नेताजी से मिलते-जुलते चेहरे वाले
'पैरिस मैन' का भी खुलासा कर चुके हैं।
-पैरिस मैन एक अज्ञात शख्स की फोटो थी जो खुद को
जर्नलिस्ट बताया था। उसके चेहरे पर दाढ़ी थी लेकिन दाढ़ी
हटाने के बाद उसका चेहरा नेताजी से काफी मिलता-जुलता
था।
- पेरिस मैन 25 जनवरी 1969 को अमेरिका और नॉर्थ
वियतनाम के बीच हुई शांतिवार्ता के दौरान एक फोटो में
नजर आया था।
- सतभाई ने इसके वीडियो और फोटोज जुटाए और मिलर की
मदद से फेस मैपिंग तकनीक का इस्तेमाल कराया था।
आगे की स्लाइड में देखें, फोटो:

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