अरे ओळखलेत का मला ?
नाही ना ?
अहो मी आहे रवींद्र पाटील . पाटलाचे पोर .
शिवरायांचे रक्त अंगात असलेला मी होतो एक
मुंबई पोलीस . प्राण जाय पर वचन न जाय हा
माझा असली बाणा . मरेस्तोवर जपला मी .
लाखो, करोडो रुपयांचे आमिष झुगारून मी ठाम
राहिलो अखेरपर्यंत .
सलमान खानच्या लँड क्रूझरने २८ सप्टेंबर २००२ या
दिवशी पाच जणांना चिरडले तेव्हा या घटनेची
तक्रार नोंदवली होती सलमानचा अंगरक्षक
असलेल्या मीच पोलिस कॉन्स्टेबल रवींद्र पाटील..
हो तोच तो मी रवींद्र ! एक पोलिस आणि
नागरिक म्हणून आपले कर्तव्य पार पाडलेल्या
माझ्यावर मात्र साक्ष फिरवण्यासाठी
कमालीचा दबाव आला,
नोकरीही गमवावी लागली. बेरोजगार
झाल्यानंतर घरातून बाहेर पडावे लागले. मी माझा
आयुष्यातील अखेरचा काळ रस्त्यावर अक्षरशः
भीक मागून काढला आणि टीबीने खंगून मी
आपला जीव सोडला . .
१९९८च्या सुमारास अंडरवर्ल्डकडून धमकी आल्याने
अभिनेता सलमान खान याला मुंबई पोलिसांकडून
संरक्षण पुरविण्यात आले.
कॉन्स्टेबल म्हणून मला सलमानच्या संरक्षणासाठी
तैनात करण्यात आले. २८ सप्टेंबरच्या रात्री मी
सलमानसोबत होतो . सलमान मद्यधुंद अवस्थेत
असताना मी त्याला गाडी न चालवण्याचा
सल्ला दिला. परंतु, सलमानने तो धुडकावून भरधाव
वेगात गाडी चालवण्यास सुरुवात केली.
अखेर वांद्र्यातील अमेरिकन एक्स्प्रेस बेकरीवर
जाऊन सलमानची लँड क्रूझर आदळली. या
अपघातात एक ठार आणि चार जखमी झाले. या
अपघाताची माहिती मीच वांद्रे पोलिस
स्टेशनमध्ये दिली. त्यावरूनच एफआयआर
नोंदविण्यात आला. मीच सुनावणी दरम्यान
सलमान गाडी चालवत असल्याची साक्ष
दिली.त्यानंतर या हाय-प्रोफाईल प्रकरणात
साक्ष देण्याचे परिणाम मला भोगावे लागले.
२००६ मध्ये मी अचानक मला 'बेपत्ता' करण्यात
आले . माझे एकाएकी गायब होणे सर्वांनाच
चक्रावणारे होते. सुनावणीदरम्यान सतत गैरहजर
राहिल्याचा ठपका ठेवत कोर्टाने मला अटक
करण्याचे आदेश दिले. त्यानुसार, क्राइम ब्रँचने
मार्च २००६ रोजी मला महाबळेश्वर येथून अटक केले.
माझी रवानगी आर्थर रोड जेलमध्ये करण्यात
आली. मला पोलिस दलातून बडतर्फ करण्यात आले.
तुरुंगातून सुटका झाल्यानंतर माझ्या डोक्यावर
छप्परही राहिले नाही. एकेकाळी कर्तव्यदक्ष
म्हणून गौरव झालेला मी पाटील २००७ मध्ये
शिवडीतील रस्त्यावर भीक मागताना आढळलो .
एकेकाळी पिळदार शरीरयष्टी असलेला मी ड्रग
रेझिस्टंट टीबीने खंगलो होतो . अखेरच्या
दिवसांतही मी मित्रांना आपण साक्षीवर ठाम
असल्याचे सांगत होतो . अखेर ३ ऑक्टोबर २००७
रोजी शिवडीच्या टीबी हॉस्पिटलमध्ये माझा
मृत्यू झाला. सुपरस्टारला गजाआड पाठवण्याइतके
महत्त्व असलेल्या साक्षीवर ठाम राहण्याची
किंमत मला मोजावी लागली.
माणसांच्या आत एक सैतान दडलेला असतो . हे मी
प्रत्यक्ष पाहिले आहे. भावनेपेक्षा कर्तव्य नेहमीच
मोठे असते . दुर्दैवाने जिवंत असताना माझ्या
लढाईला यश आले नाही . मी मेल्यानंतरही न्याय
मिळाला नाही ..
असो, पुढचा जन्म मिळाला तर नक्कीच पुन्हा
रवींद्र पाटील होईन आणि माजलेल्या अनेक
सलमानला गजाआड करीन .
चला ,विचार करा .
निरोप घेतो तुमचाच
रविंद्र पाटील(मृत )
.
लेखक- अनामिक

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Saturday, 12 December 2015
अरे ओळखलेत का मला ? नाही ना ?
Sunny Leone | Sunny Leone in Hindi | कभी ऐसी दिखती थीं सनी लियोनी,
कभी ऐसी दिखती थीं सनी लियोनी,
डॉक्युमेंट्री से खुलेंगे Past के कई राज
मुंबई. पोर्न स्टार से बॉलीवुड एक्ट्रेस बनी सनी लियोनी पर
बनी डॉक्युमेंट्री जल्द ही दुनियाभर में रिलीज की जाएगी।
फीचर फिल्म बराबर लंबी इस डॉक्युमेंट्री से सनी के अतीत के
कई राज खुलेंगे। इसे जर्नलिस्ट दिलीप मेहता ने बनाया है।
दिलीप की मानें तो यह डॉक्युमेंट्री ऐसी औरत की कहानी
है, जो अपने Past को लेकर शर्मिंदा नहीं है। खैर, यह तो हुई
डॉक्युमेंट्री की बात। अब डालते हैं सनी की रियल लाइफ पर
एक नजर :
करनजीत कौर वोहरा है असली नाम
सनी लियोनी का जन्म 13 मई 1981 को सर्निया
ओंटारियो, कनाडा में पंजाबी सिख परिवार में हुआ था।
उनका असली नाम करनजीत कौर वोहरा है। एडल्ट करियर चुनने
के लिए उन्होंने अपना नाम सनी रखा।
क्या है सरनेम के पीछे का राज
एडल्ट फिल्मों में एंट्री के दौरान उन्होंने बताया था कि
सनी उनका असली नाम है, जबकि लियोनी(लियोन) सरनेम
उन्होंने पेंटहाउस मैगजीन के पूर्व मालिक बॉब गुसियोन के
नाम से लिया है।
कैथोलिक स्कूल में लिया था दाखिला
बचपन में वे एथलेटिक्स थीं और लड़कों के साथ हॉकी खेला
करती थीं। बताया जाता है कि पब्लिक स्कूल में जाना उनके
लिए सुरक्षित नहीं था, जिसके चलते उन्हें कैथोलिक स्कूल में
दाखिला दिलाया गया था।
एडल्ट फिल्मों में आने से पहले
पोर्न इंडस्ट्री में आने से पहले सनी एक जर्मन बेकरी में काम
किया करती थीं। सनी ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि
डेनियल वेबर से उनकी शादी साल 2011 में हुई है। बता दें कि
सनी के बाद अब डेनियल भी फिल्मों में एंट्री करने जा रहे हैं।
उनकी पहली फिल्म 'डेंजरस हुस्न' होगी, जिसकी रिलीज डेट
अभी तय नहीं है।
'बिग बॉस' में आने के बाद मिली बॉलीवुड में
एंट्री
सनी लियोनी ने साल 2011 में कलर्स चैनल के
कॉन्ट्रोवर्शियल रियलिटी शो 'बिग बॉस' के सीजन 5 में
वाइल्ड कार्ड एंट्री ली थी। यहीं से उनके लिए बॉलीवुड के
रास्ते खुले। दरअसल, शो के एक एपिसोड के दौरान डायरेक्टर
महेश भट्ट मेहमान बनकर आए थे और सनी को अपनी अपकमिंग
फिल्म के लिए सिलेक्ट कर लिया था। हालांकि, उनका डेब्यू
सक्सेसफुल नहीं रहा। 'जिस्म 2' बॉक्स ऑफिस पर मुंह के बल
गिरी, लेकिन सनी का बॉलीवुड करियर चल निकला।
'रागिनी एमएमएस 2' पहली सफल बॉलीवुड
फिल्म
सनी लियोनी 'कुछ कुछ लोचा है'(2015), 'एक पहेली
लीला'(2015), 'जिस्म 2' (2012), 'जैकपॉट' (2013) और
'रागिनी एमएमएस 2' जैसी फिल्में कर चुकी हैं। साल 2014 में
रिलीज हुई 'रागिनी एमएमएस 2' उनकी पहली सफल फिल्म
थी। उनकी 'मस्तीजादे', 'टीना और लोलो' और 'वन नाइट
स्टैंड' भी रिलीज की प्रतीक्षा में हैं।
राजस्थान: टोंक में लगे ISIS जिंदाबाद के नारे, कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज
नई दिल्ली. आतंकी संगठन ISIS के समर्थन में नारे लगाने वाले
कई लोगों के खिलाफ शनिवार को राजस्थान में मुकदमा दर्ज
किया गया। मामला राजस्थान के टोंक जिले का है। जहां
शुक्रवार को मुस्लिम संगठनों ने हिंदू महासभा के एक नेता के
पैंगबर साहब पर किए गए कमेंट के विरोध में एक रैली बुलाई थी।
रैली में लगे ISIS जिंदाबाद के नारे
- टोंक जिले के एसपी दीपक कुमार ने बताया कि शुक्रवार
को टोंक के मालपुरा कस्बे में मुस्लिम संगठनों ने रैली
निकाली।
- यह रैली हिंदू महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष कमलेश
तिवारी के पैंगबर मोहम्मद पर दिए गए आपत्तिजनक बयान के
खिलाफ बुलाई गई थी।
- रैली में शामिल युवकों ने ISIS के समर्थन में ISIS जिंदाबाद के
नारे लगाए गए।
- एसपी के मुताबिक जानकारी मिलने के बाद वीडियो फुटेज
के बेस पर पांच लोगों को हिरासत में लिया गया है।
- रैली में नारेबाजी करने वाले आइडेंटिफाइड और
अनआइडेंटिफाइड लोगों के खिलाफ आईपीसी के अंडर सेक्शन
153 (A) (धार्मिक भावनाएं भड़काने, गैर कानूनी काम करने
और कम्युनल हार्मोनी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश) के
तहत मामला दर्ज किया गया है।
- गौरतलब है कि गुरुवार शाम को जयपुर से ही इंडियन ऑयल
कार्पोरेशन के मार्केटिंग मैनेजर मोहम्मद सिराजुद्दीन को
अरेस्ट किया गया था।
- सिराजुद्दीन पर सोशल मीडिया के जरिए ISIS की
आइडियोलॉजी को फैलाने का आरोप है।
बेंगलुरू में 20 हजार मुस्लिम सड़क पर उतरे
शुक्रवार को हिंदू महासभा के एक पदाधिकारी के पैंगबर हजरत
मोहम्मद पर की गई एक आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद बेंगलुरू में
भी मुस्लिम समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में
लगभग 20 हजार लोग सड़कों पर उतरे। बेंगलुरू में यह विरोध खुद्दुस
साहब ईदगाह मैदान पर हुआ। इसके अलावा मैसूर में भी लोग
सड़कों पर जमा हुए। इससे लगभग तीन घंटे तक ट्रैफिक जाम बना
रहा। हालांकि, इस प्रर्दशन में किसी अप्रिय घटना की खबर
नहीं है।
- सहारनपुर के देवबंद में भी शुक्रवार को मुस्लिम संगठनों ने
कड़ा विरोध जताते हुए कमलेश तिवारी को फांसी दिए जाने
और हिंदू महासभा पर बैन लगाए जाने की मांग की।
कमलेश तिवारी ने पैगंबर साहब पर की थी विवादित टिप्पणी
कमलेश तिवारी ने मुसलमानों के पैगंबर मोहम्मद साहब को
लेकर विवादित टिप्पणी की थी। मुस्लिम संगठनों के विरोध
के बाद हिंदू महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष कमलेश तिवारी
पर (एनएसए) राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तरह मामला दर्ज
कर उन्हें लखनऊ से अरेस्ट किया गया था। गौरतलब है कि
तिवारी ने विवादित बयान एसपी नेता आजम खान के उस
बयान के बाद दिया था, जिसमें उन्होंने आरएसएस को
समलैंगिगता को सपोर्ट करने वाला संगठन बताया था।
तिवारी का सिर कलम करने वाले को 51 लाख का इनाम देने
का हुआ एलान
इससे पहले पैगंबर साहब पर दिए गए विवादित बयान के बाद
बिजनौर के उलेमाओं ने हिंदू महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष
कमलेश तिवारी का सिर कलम कर लाने वाले को 51 लाख
रुपए का इनाम देने का एलान किया था। तिवारी के बयान के
विरोध में जमीअत शबाबुल इस्लाम समेत कई मुस्लिम संगठनों ने
बिजनौर में विरोध प्रदर्शन भी किया। वहीं, मेरठ शहर में ऑल
इंडिया आईएमएएस काउंसिल ने जुलूस निकालकर कमलेश
तिवारी को फांसी दिए जाने की मांग की।
क्या 1966 में जिंदा थे नेताजी? पूर्व PM शास्त्री के साथ की एक फोटो से उठे सवाल
नई दिल्ली. क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1966 में रूस के
ताशकंद में थे? क्या उस वक्त वे पीएम लाल बहादुर शास्त्री के
साथ मौजूद थे? कुछ ऐसे ही सवाल एक फोटो काे लेकर उठ रहे हैं।
यह फोटो नेताजी को मृत घोषित किए जाने के 21 साल की
बाद है। ब्रिटिश एक्सपर्ट ने फोटो मैपिंग कर इसमें शास्त्री के
पीछे नेताजी जैसा शख्स खड़ा होने का दावा किया है।
ऐसा माना जाता है कि नेताजी की मौत 18 अगस्त, 1945
को ताइपे में हुई थी। जबकि शास्त्री की मौत ताशकंद दौरे के
दौरान 11 जनवरी, 1966 में हुई थी।
क्या हो रहा है दावा?
- डीएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, यह दावा किया जा रहा
है कि फोटो में नेताजी जैसी शक्ल-ओ-सूरत वाला शख्स
शास्त्री जी के पीछे खड़ा नजर आ रहा है।
- फोटो लेकर ब्रिटिश एक्सपर्ट का दावा है कि शास्त्री
जी के साथ दिख रहे यह शख्स नेताजी सुभाष चंद्र बोस हो
सकते हैं।
- नेताजी के जुड़े मामलों में रिसर्च कर रहे ब्रिटिश एक्सपर्ट
नील मिलर ने फॉरेंसिक टूल्स के तहत फेस मैपिंग टेक्नीक का
इस्तेमाल कर इस फोटो को खोजा है।
- उन्होंने इस फोटो को ताशकंद में नेताजी के मौजूद होने के
सबूत के तौर पर पेश किया है।
पीएम मोदी से की अपील
- ब्रिटिश एक्सपर्ट ने अपनी फॉरेंसिक रिपोर्ट का हवाला
देते हुए पीएम नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे रूसी प्रेसिडेंट
व्लादीमिर पुतिन पर नेताजी से जुड़े सच का खुलासा करने का
दवाब डालें।
- गौरतलब है कि पीएम मोदी इसी महीने रूस के दौरे पर जा रहे
हैं।
फोटो सच है तो क्या होगा ?
ब्रिटिश एक्सपर्ट के दावे में मुताबिक अगर यह फोटो नेताजी
की है तो इससे दो बातें साबित होती हैं।
- नेताजी की मौत 1945 में हुए प्लेन हादसे में नहीं हुई थी।
- रूसी नेता स्टालिन ने 1950 की शुरुआत में उनका मर्डर
कराया था, यह भी गलत साबित हो जाएगा।
नेताजी के ताशकंद में मौजूद होने के पीछे के तर्क
- ब्रिटिश हाईकोर्ट और इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में
नेताजी से जुड़े मामलों में अपनी राय देने वाले एक्सपर्ट नील
मिलर का कहना है कि शास्त्री के साथ फोटो में दिखाई दे
रहा शख्स और सुभाषचंद्र बोस दोनों एक ही हैं। फेस मैपिंग का
रिजल्ट इस बात को कन्फर्म करता है।
- शास्त्री जी के पोते संजय नाथ का दावा है कि शास्त्री
जी की मौत से महज एक घंटे पहले ही शास्त्री जी ने किसी के
साथ फोन पर बात की थी। उन्होंने फोन पर उस शख्स से कहा
था कि वे भारत लौटकर एक ऐसा खुलासा करेंगे, जिससे
विपक्षी दल बाकी सब कुछ भूल जाएंगे। संजय नाथ, शास्त्री
जी की मौत के वक्त महज 9 साल के थे।
- शास्त्री जी के परिवार के सदस्य पहले भी यह दावा कर चुके
हैं कि ताशकंद दौरे के दौरान शायद उनकी नेताजी से ही बात
हुई हो।
किसने किया नेताजी के फोटो पर फेस मैपिंग का इस्तेमाल
- जो फोटो सामने आई है, उस पर फेस मैपिंग का इस्तेमाल
नीदरलैंड में रहने वाले भारतीय मूल के सिद्धार्थ सतभाई ने शुरू
किया था।
- 36 साल के सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल सिद्धार्थ मिशन नेताजी
ऑर्गेनाइजेश के एक्स मेंबर हैं।
- मिलर ने इस सबूतों का लगभग 1 महीने तक रीडिंग करने के
बाद पिछले महीने 62 पेज की रिपोर्ट सौंपी है।
- रिपोर्ट के मुताबिक- वीडियो और फोटोज की आपस में
तुलना करने पर इस बात के मजबूत एविडेंस मिलते हैं कि ताशकंद
में शास्त्री के पीछे जो शख्स दिख रहा है वह और नेताजी
दोनों एक ही इंसान हैं।
- इस रिपोर्ट के आने के बाद नेताजी के समर्थकों ने इस फोटो
में दिख रहे शख्स की पहचान मालूम करने के लिए सरकार से
जवाब मांगा। जिसपर सरकार का कहना है कि इस बारे में
उसके पास कोई जानकारी नहीं है।
- मिलर को इस काम के लिए 800 यूरो का पेमेंट किया गया।
जिसका इंतजाम नेताजी पर शोध कर रहे कई शोधकर्ताओं और
कोलकाता में नेताजी के समर्थकों ने मिलकर किया है।
रहस्मयी 'पेरिस मैन' का भी खुलासा कर चुके हैं मिलर
- इससे पहले भी नील मिलर नेताजी से मिलते-जुलते चेहरे वाले
'पैरिस मैन' का भी खुलासा कर चुके हैं।
-पैरिस मैन एक अज्ञात शख्स की फोटो थी जो खुद को
जर्नलिस्ट बताया था। उसके चेहरे पर दाढ़ी थी लेकिन दाढ़ी
हटाने के बाद उसका चेहरा नेताजी से काफी मिलता-जुलता
था।
- पेरिस मैन 25 जनवरी 1969 को अमेरिका और नॉर्थ
वियतनाम के बीच हुई शांतिवार्ता के दौरान एक फोटो में
नजर आया था।
- सतभाई ने इसके वीडियो और फोटोज जुटाए और मिलर की
मदद से फेस मैपिंग तकनीक का इस्तेमाल कराया था।
आगे की स्लाइड में देखें, फोटो:
Sex importance in life
Hindi News - Live TV shows Latest News,Breaking News in Hindi, Daily News and News Headlines from India bollywood current affairs live
Breaking News Creating everything out of nothing. 5000crs out of thin air!!!!
#NationalHerald case in a nut shell.
National herald (NH) was started during 1930s by nehru and was publishing news paper.
During the course of time it accumulated land and wealth of 5000crs.
In 2000s it went into loss and had 90crs debt.
NH's directors Sonia ,Rahul, and Motilal vohra decided to sell it to Young India Ltd.
Now the funny part.
Young India's directors were Sonia, Rahul, Oscar farnandes and motilal vohra.
Deal was that young India would clear NH's 90cr loan and in return get assets worth 5000 cr.
To strike this deal motilal vohra spoke to motilal vohra bcoz he was director of both companies.
Now comes the twist.
To clear the 90 cr debt, young Indian, asks Congress party to give loan of 90 cr. So congress calls a meeting , party president, VP, gen sec, treasurer attends it. Who are these ppl ?? Sonia, Rahul, Oscar and motilal vohra respectively. Congress gives loan. Who approves it, treasurer,motilal vohra.
So congress treasurer vohra, gives loan to young India, its director vohra takes it and gives it to NH director vohra.
Hold on the fun doesn't stop here.
Next day congress party calls meeting, who attends it ??
Sonia, Rahul, Oscar, vohra . they decide that NH has done lot of service to the country during freedom fight, let's write off the loan.
So 90cr loan is written off.
Great. Young India with 36% share held be Sonia and Rahul each , rest owned by Oscar and Vohra gets property worth 5000cr, including 11 stories Apartment Block at Bahadur shah zafar marg in Delhi, which is rented out to passport office and other offices.
Wow this is what is called creation. Creating everything out of nothing. 5000crs out of thin air!!!!
News of Chandragupta ashoka
सम्राट आशोक के शिलालेख तोडकर बनाया चंद्रालंबा देवी मंदीर :
गुलबर्गा (कर्नाटक)जिले के सनाथी मे एक प्राचीन मंदीर था जिसका नाम चंद्रालंबा देवी मंदीर । इस मंदीर का छत अचानक ढह जानेसे देवी मूर्ती खंडीत हुई और इतिहास के कई राज सामने आए । ईस मंदीर के मलबे से सम्राट आसोक के चार सिलालेख प्राप्त हुए । ईन सिलालेखोंको तोडकर मंदीर का फाऊंडेशन और फ्लोर बनाने के लिए उपयोग किया था ।यह सिलालेख प्राकृत भाषामे तथा ब्राह्मी(असल नाम नागरी ; ब्राह्मी नाम कैसे पडा यह बाद मे चर्चा करेंगे )लिपी मे लिखे हुए है । इनमे से एक सिलालेख देवी की मूर्ती रखने के लिए आधारशीला के तौरपर उपयोग किया था ।ASI ने जब यहाँ खुदायी आरंभ की तो सबको चौंकाने वाले तथ्य सामने आए ।यहाँ पर सम्राट आसोक के बौध्द भारत की पूरी तस्वीर देखने मे आती है ।
यहाँपर -सिलालेखोंके 81 छोटेमोटे पत्थर के अवशेष , 2 स्तूप , मिट्टीके तीन टिले और बुध्द की कई प्रतिमाएँ साथ मे टेराकोटा मूर्तीयाँ ,मौर्य और सातवाहन कालीन कई महत्वपूर्ण अवशेष मिले ।
दोस्तो , देशभर मे ऐसे कई मंदीर है जिन् मंदीरोंने भारत की मूल विरासत को गुमनामी के अंधेरे मे धकेल दिया है । ब्राहमण धर्म के रक्षक बहुजनोंको मंदीर प्रवेश से रोकते थे कारण - ' कही ब्राह्मण धर्म की पोल न खुल जाए ।'